जिंदगी की रेल में हम सब अलग अलग स्टेशन से चढ़े हैं।। निकले हैं अपनी मंज़िल की ओर , सपने कुछ छोटे कुछ बड़े हैं।
रास्ते में अड़चनें हज़ार, और कई सारे रोड़े हैं , कोई दौड़ रहा तेज़ औऱ कुछ लोग थके पड़े हैं।
करना है वादा खुदसे कि, हो जाये कुछ भी, इन छोटी मुश्किलों की क्या औकात, हम तो बड़े बड़े तूफानों से पूरी हिम्मत से लड़े हैं।
पीछे मुड़के कभी देखा नहीं, हम तो चट्टानों के सीने चीरकर , बहते दरिया जैसे आगे बढ़े हैं।
थामके हाथ एक दूसरे का पूरा करेंगे ये सफर ,
आ जाये किसी दोस्त पे कोई मुश्किल तो उसके लिए सीना तानकर फौलाद सा साथ देने के लिए हमेशा खड़े हैं।
तुझे क्या पता ऐ ज़िन्दगी , हम किस मिट्टी से गढ़े हैं,
और ना जाने इन मेहनती हाथों से , कितने सपने सच्चाई में मढ़े हैं।
जिंदगी की इस रेल में हम सब अलग अलग स्टेशन से चढ़े हैं।।
सच करेंगे ज़रूर सारे ख्वाबों को एक दिन, भले ही हो छोटे मोटे हो या फिर बड़े बड़े हों।
ज़रूर करेंगे सारे अरमान पूरे , चाहे छोटे हों,या बड़े हों।