Sunday, September 17, 2023

छोटे बड़े सपने

 जिंदगी की रेल में हम सब अलग अलग स्टेशन से  चढ़े हैं।। निकले हैं अपनी मंज़िल की ओर , सपने कुछ छोटे कुछ बड़े हैं। 


रास्ते में अड़चनें हज़ार, और कई सारे रोड़े हैं , कोई दौड़ रहा तेज़ औऱ कुछ लोग थके पड़े हैं।


करना है वादा खुदसे कि, हो जाये कुछ भी, इन छोटी मुश्किलों की क्या औकात, हम तो बड़े बड़े तूफानों से पूरी हिम्मत से लड़े हैं।


पीछे मुड़के कभी देखा नहीं, हम तो चट्टानों के सीने चीरकर , बहते दरिया जैसे आगे बढ़े हैं।


थामके हाथ एक दूसरे का पूरा करेंगे ये सफर , 

आ जाये किसी दोस्त पे कोई मुश्किल तो उसके लिए सीना तानकर फौलाद सा साथ देने के  लिए हमेशा खड़े हैं।


तुझे क्या पता ऐ ज़िन्दगी , हम किस  मिट्टी से गढ़े हैं,

और ना जाने इन मेहनती हाथों से , कितने सपने सच्चाई में मढ़े हैं।


जिंदगी की इस रेल में हम सब अलग अलग स्टेशन से चढ़े हैं।।

सच करेंगे ज़रूर सारे ख्वाबों को एक दिन, भले ही हो छोटे मोटे हो या फिर बड़े बड़े हों।


ज़रूर करेंगे सारे अरमान पूरे , चाहे छोटे हों,या बड़े हों।

Saturday, October 6, 2018

न जाने क्यों....

जगाता हूँ सीने में ढेर सारे अरमान ,
फिर धीरे से इन्हें थपकी देकर सुलाता हूँ ||

जलाता हूँ शम्मे-ऐ- आरज़ू शामों को
फिर चुपचाप सुबह धीरे से फूँककर बुझाता हूँ ||

बोलता हूँ ढेर सारे लव्ज़ तेरी तारीफों में
फिर इन लबों को ऊँगली रखके चुप कराता हूँ ||

सजाता हूँ ढेर सारे सुरीले सपने  तेरे , नींदों में
फिर वास्तविकता में आँखें मलता  जाग जाता हूँ ||

लिखता हूँ हज़ारों नगमे तेरे तोहफों में
फिर लिखके बार बार मिटाता हूँ ||

न जाने क्यों , हर याद में, हर बात में
मेरे हर दिन में मेरी हर रात में

कभी तुझे खोता हूँ , कभी तुझे पाता हूँ
कभी तुझे खोता हूँ , कभी तुझे पाता हूँ||

Sunday, May 28, 2017

ऐ ज़िन्दगी!!

दे जितनी चुनौती  है तुझे ऐ ज़िन्दगी ,
मैं  उम्मीदों  के सहारे इन्हें जी लूंगा |

दे  जितने आंसूं देना है  तुझे मुझको ,
मैं गुजरी खुशियों को समेटकर इन्हें पी लूंगा |

दे  जितनी रुसवाई तू दे सकती मुझे ,
मैं अपनों  के हौसलों को समेटकर  बार बार खिलूँगा |

दे जितनी उदासी  देनी है तुझे मुझको ,
मैं ख्वाबों के लम्हों में लपेटकर, इन्हे सी लूंगा |

ऐ जिंदगी , दे जितना दर्द दे सकती है तू ,
मैं ज़ख़्मों में अपनों का प्यार लगाकर सह लूंगा |


तुझे क्या पता ज़िन्दगी की तू कितनी खूबसूरत है,
तेरे हर पल में कितना रंग , कितनी आस है

मुझे उनको जीने के अरमान और उनको पीने की कितनी प्यास है |
मैं तो अपनों के सपनों को हकीकत में बदलकर,
मज़े तुझसे भी, तुझमे ही लूंगा , मज़े तुझसे ही तुझमे भी लूंगा || 

Saturday, November 22, 2014

हाँ तुम मेरी पायल हो !

सीधी  सच्ची  सादी  और  सरल  हो ,  
ऐसी  ही  भोली  तुम मेरी  पायल  हो । 

जैसे  बहती हुई सरिता , सुरम्य  गीतमय  कल -कल  हो ,
 वैसी ही चंचल  चपल तुम मेरी  पायल  हो । 

 कोई  सुरीला  गीत या  सूफी ग़ज़ल  हो ,
ऐसी  ही  सुमधुर  तुम मेरी पायल हो  । 

कोई रसभरी मिठाई  या एक  रसीला फल हो ,
वैसी ही  मीठी   तुम मेरी पायल हो  । 

कोई  प्यारा  लम्हा या आने वाला पल हो ,
वैसी  ही  चलित  तुम मेरी पायल हो  । 

पंचतत्व से उपजी अग्नि वायु पृथ्वी आकाश या जल हो 
हर कण में ढली तुम मेरी पायल हो । 






















चाहे धरती अंतरिक्ष या रसातल हो 
हर जगह झंकृत तुम मेरी पायल हो  । 

कोई  पूरा  सा ख्वाब इक महकता आंचल हो 
मै  तुम्हारा कंगन  तुम मेरी पायल हो  । 

मेरा विश्वास मेरा गर्व और तुम्ही मेरा संबल हो 
मेरी हर अनुभूति में बसी तुम मेरी पायल हो । 

मेरी हर अनुभूति में बसी  हाँ तुम मेरी पायल हो । 

Friday, August 29, 2014

क्या तुम वही हो जो मेरे सपनो में आने वाली हो ?


उगता सूरज तेरी बिंदिया हो , चंदा तेरी बाली हो ।
क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !

कोई खाली थाल या रोली कुमकुम से भरी पूजा की थाली हो।
क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !

कड़वा  सच या मीठी  सी गाली हो ।
क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !

सूखे पत्तों की डगाल या फूलों से भरी हुई डाली हो।
क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !


बाग़ उजाड़ने वाला उच्च्श्रङ्ख्ल  बच्चा या मन  की बगिया सजाने वाली माली हो।
क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !

खुशियों से लबालब भरा जाम या गम से लबरेज़ गिलास खाली हो ।
क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !

नया खरा  सिक्का या  कोई नोट जाली हो ।
क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !

सन्नाटे की आहट या गड़गड़ाती हुई ताली हो ।
क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !

एक चैन भरा एहसास या कोई पुलाव ख्याली हो ।
क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !



तुम मंदिर की आरती, मस्जिद की अजान और साईं दरबार  की सवाली हो
भगवान की बनाई  कठपुतली या वो  सजीव देवी-प्रतिमा जो मिट्टी में  ढाली हो

आबाद  हुई  इक  मुराद जो खुदा ने बार बार टाली हो।
पूरी  हुई ख्वाइश जो  मैंने बरसों से पाली हो!

क्या  तुम  वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !
हाँ तुम   वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !

हाँ तुम   वही  हो जो मेरे सपनो  में आने वाली हो !!!

Sunday, August 25, 2013

सपने और अपने

कभी वो नज़रें चुराके हमें आंसुओं से भिगोते हैं ,
कभी अपना दामन चुराके हमें बारिश से भिगोते हैं !

हम तो उनकी यादों के समंदर में न जाने ,
खाते कितने गोते हैं !

खुली आँखों से देखके उनके ख्वाब ,
कभी जागते हैं कभी सोते हैं !

कभी नन्ही आस को उम्मीद के दरिये में डुबोते हैं
और कभी नन्हे सपनों को कोशिशों के बाग़ में बोते हैं !

सारी ख्वाइशों को टूटे खिलोनों सा संजोते हैं
और अपनी बाजुओं की मिटटी के दम में जोते हैं !

चाहत के रंगों से भरे आईने को सच्चाई के पानी से धोते हैं।,
और फिर कड़ी मेहनत की धूप में सुखोते हैं

तुम्हे शायद लगेगा की हम भी तनहाइयों में रोते हैं ,
सपनों के लिए न जाने कितने लोग अपनों को खोते हैं !

पर सच तो ये है ए बेवफा अपने हमेशा सपनों से बड़े होते हैं
अपने हमेशा सपनों से बड़े होते हैं!!

छोटे बड़े सपने

 जिंदगी की रेल में हम सब अलग अलग स्टेशन से  चढ़े हैं।। निकले हैं अपनी मंज़िल की ओर , सपने कुछ छोटे कुछ बड़े हैं।  रास्ते में अड़चनें हज़ार, और कई...